केन नदी बाढ़ 2025: कारण, केन–यमुना बैकवॉटर, रेत-खनन और पर्यावरणीय असर ← Back to All Blogs

केन नदी बाढ़ 2025: कारण, टाइमलाइन और पर्यावरणीय असर (बुंदेलखंड)

Published on: 25 Aug 2025 | Author: SATYA PRAKASH
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1) इस साल क्या हुआ: छोटी टाइमलाइन जुलाई 2025: IMD ने सक्रिय/ऊपर-सामान्य मानसून का अलर्ट जारी किया; उत्तर भारत व “कोर-मॉनसून ज़ोन” में भारी वर्षा की चेतावनी रही। बुंदेलखंड में ~200% तक वर्षा वृद्धि दर्ज हुई, जिससे खेत और निचले इलाक़े डूबे। 1–4 अगस्त 2025: CWC (सेंट्रल वॉटर कमीशन) ने बांदा जिले के पईलानी डेरा गेज साइट पर “Severe Flood” स्थिति की आधिकारिक सूचना दी। स्थानीय मीडिया ने भी जलस्तर बढ़ने और चेतावनी-स्तर के पास पहुँचने की रिपोर्ट की। समानांतर प्रभाव: यमुना भी बांदा में ख़तरे के निशान से ऊपर रही, जिससे केन–यमुना संगम (चिल्ला/चिल्ला घाट, बांदा) क्षेत्र में बैकवॉटर प्रभाव बढ़ा—केन का निकास धीमा पड़ा। 2) बाढ़ क्यों आई?—मुख्य कारण अत्यधिक/केन्द्रित वर्षा (Extreme Rainfall): 2025 मानसून में मध्य भारत–बुंदेलखंड बेल्ट पर असामान्य, कम समय में तेज़ बारिश की घटनाएँ बढ़ीं—यही प्राथमिक ट्रिगर रहा। बैकवॉटर इफेक्ट: केन, चिल्ला (बांदा) पर यमुना में मिलती है; जब यमुना ऊँची चलती है, तो संगम सेक्शन में केन का पानी “ठहर” जाता है और अपस्ट्रीम में जलस्तर और फैलाव बढ़ता है। रिवर-मॉर्फोलॉजी में बदलाव व रेत खनन: केन में वर्षों से बड़े-पैमाने पर इं-स्ट्रीम/मैकेनाइज़्ड सैंड-माइनिंग दर्ज हुई है; इससे नदी-तल ऊबड़-खाबड़, चैनल अस्थिर और वहन-क्षमता घटती है—उफान में पानी तेजी से फैलता है। (2024 की उपग्रह-आधारित जाँचों व फील्ड रिपोर्टों में पईलानी व अन्य स्थलों पर उल्लंघन दर्ज)। फ्लडप्लेन अतिक्रमण/कस्बाई विस्तार: बाढ़-समतल पर सड़क/हाउज़िंग/फ़ार्म-फिलिंग से प्राकृतिक फैलाव क्षेत्र सिकुड़ता है—पीक फ्लो में नुक़सान बढ़ता है। (भारत में रिवर-सैंड पर हालिया रिसर्च भी बाढ़ जोखिम बढ़ने की ओर संकेत देती है।) बाँध/नियमन-प्रणालियाँ: भारी वर्षा में अपस्ट्रीम कैचमेंट (पन्ना–छतरपुर) से तेज़ आवक आने पर रिलीज़/रियल-टाइम संचालन पर निर्भरता बढ़ती है; CWC की परिभाषा के मुताबिक “Severe Flood” तब मानी जाती है जब स्तर ख़तरे के निशान से ऊपर हो पर HFL से नीचे—ऐसी स्थितियों में 3-घंटे की विशेष बुलेटिन जारी होती है। 3) पर्यावरणीय असर क्या दिखे/संभावित हैं? नदी-पारिस्थितिकी: बाढ़ प्राकृतिक है और रिचार्ज/सेडिमेंट-रिलोकशन से नदी को जीवित रखती है, पर अनियोजित खनन व चैनल-संकुचन से स्पॉनिंग-ग्राउंड और स्थानीय मत्स्य-जीविका पर नकारात्मक असर पड़ता है। पन्ना लैंडस्केप/जैवविविधता: केन–बेतवा लिंक के निर्माण-कार्य को लेकर 2025 में पन्ना टाइगर रिज़र्व के अंदर वन्यजीव प्रभावों पर विशेषज्ञों ने आपत्तियाँ दर्ज कीं; बाढ़काल में निर्माण/डायवर्ज़न-वर्क्स नदी-डायनेमिक्स के साथ जटिल अंतःक्रिया पैदा कर सकते हैं—संवेदनशील प्रजातियों पर नज़र रखना ज़रूरी है। ग्राउंडवॉटर/रीचार्ज: इस मानसून के बाद बुंदेलखंड में बाढ़-जनित रिचार्ज के कारण जलस्तर “सेफ़” ज़ोन में होने की रपटें आईं—पर यह लाभ बाढ़-नुक़सान घटाने की नीति-सुधारों के साथ ही टिकाऊ है। 4) आगे क्या करें—नीति व लोक-कार्य की 10 ठोस सिफ़ारिशें फ्लडप्लेन ज़ोनिंग व निर्माण-नियंत्रण—नदी से दूरी/ऊँचाई के स्पष्ट मानक। मैकेनाइज़्ड रेत-खनन पर कड़ी निगरानी/मॉनसून-बैन का सख़्त पालन, और इन-स्ट्रीम खनन से परहेज़। रियल-टाइम फ़ोरकास्टिंग—CWC बुलेटिन/ऑरेंज बुलेटिन का स्थानीय भाषा में फ़ोन-SMS/WA अलर्ट। संगम-क्षेत्र का हाइड्रोलिक ऑडिट (केन–यमुना बैकवॉटर मॉडलिंग) ताकि स्थानीय बस्तियों के लिए वैज्ञानिक रिलोकेशन/ऊँचे बाँधने-उपाय तय हों। कैचमेंट रिस्टोरेशन—अपस्ट्रीम में वनीकरण, कंटूर-ट्रेंच, तालाब/वेटलैंड नेटवर्क। इको-फ्लो मानक—बाँध/बैरेज संचालन के लिए न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह; मानसून-पीक पर पारदर्शी रिलीज़ प्रोटोकॉल। शहर-स्तरीय ड्रेनेज मास्टरप्लान—कासेबा/बांदा जैसे कस्बों में स्टॉर्म-वॉटर आउटफॉल को नदी-लेवल से सिंक करना। रिवर-वॉच/सिटिजन साइंस—स्थानीय लोगों के साथ गेज-रीडिंग, फोटो-लॉग और अवैध अतिक्रमण की रिपोर्टिंग। कृषि-अनुकूलन—बाढ़-सहनशील किस्में, फसल-बीमा, ऊँचे प्लेटफ़ॉर्म पर गोदाम/पशु-शेल्टर। वन्यजीव मॉनिटरिंग—पन्ना लैंडस्केप व केन-कॉरिडोर में निर्माण-सीज़निंग व निगरानी, ताकि जैवविविधता सुरक्षित रहे। स्रोत/रेफ़रेंस (चयन) बुंदेलखंड में ~200% वर्षा वृद्धि (जुलाई 2025): Down To Earth रिपोर्ट। CWC “Severe Flood” अलर्ट (पईलानी/डेरा, 1–4 अगस्त 2025): CWC Official Flood Forecast पोस्ट/ट्वीट; CWC की फ़्लड-कैटेगरी परिभाषा। स्थानीय रिपोर्ट (बांदा में जलस्तर बढ़ा/चेतावनी-स्तर के पास): Bundelkhand News। यमुना बांदा में ख़तरे से ऊपर (2 अगस्त 2025): Hindusthan Samachar। केन–यमुना संगम (चिल्ला/चिल्ला घाट) लोकेशन: Wikipedia / NWDA। रेत-खनन और नदी-जोखिम पर मामलों/अध्ययनों: SANDRP (2024), CEGA (2025)। पन्ना TR/केन–बेतवा लिंक पर 2025 की चिंताएँ: Hindustan Times।
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