Vatsala: Asia’s Oldest Elephant Dies at 100 | Life Journey from Kerala to Panna Tiger Reserve← Back to All Blogs
पन्ना टाइगर रिजर्व की दादी वत्सला का अद्भुत जीवन : एक शताब्दी की करें
Published on: 15 Jul 2025 | Author: SATYA PRAKASH
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🌱 बचपन और आगमन
वत्सला की शुरुआत केरल के निलंबुर क्षेत्र में हुई। वह लगभग 1971–72 में 50 वर्ष की अवस्था में मध्यप्रदेश लायी गईं—पहले बोरि वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी, फिर 1993 में पन्ना टाइगर रिजर्व में आईं
👩🌾 मल्लाह-हाथी से ‘दादी’ तक
मतिनिर्माण कार्य में प्रयोग के बावजूद, वत्सला ने कभी अपना बच्चा नहीं जन्म लिया। लेकिन पन्ना में बछड़ों की देखभाल करती रहीं—गरीबी की हालत में भी उन्होंने अनगिनत हाथियों का संरक्षण किया। इन्हीं कारणों से उन्हें प्यार से 'दादी' कहा जाने लगा ।
⚔️ संघर्षपूर्ण जीवन
2003 और 2008 में मर्द हाथियों के हमले से वत्सला को गंभीर चोटें आईं—पेट फट गया और पेट लीकेज जैसी समस्याएं सामने आई, लेकिन वे नौ महीने तक इलाज के बाद सही हुईं।
1993‑2004 में उन्होंने जंगल गश्त में सक्रिय भूमिका निभाई, बाद में उम्र बढ़ने और अंधेपन के कारण उन्हें रिटायर किया गया ।
👁️ आख़िरी दशक—मोहीता की उम्र और देखभाल
2004 के बाद वत्सला अंधी हो गईं और विशेष देखभाल की ज़रूरत थी। उनका महावत मनीराम गोंड हमेशा उनके साथ रहे। उन्होंने वत्सला के लिए रोटी और दलिया तैयार करवाया और दिन-रात साथ रहे। इस युगल की ताक़त और एकता का हर कोई दीवाना था
⏳ अंतिम समय और मृत्यु
8 जुलाई 2025 को हिनौता एलीफेंट कैंप के पास वत्सला एक नाले में गिर गईं, जिसमें उनके नाखून और सामने पैर भी घायल हुए। वेट्स और कर्मचारी उन्हें उठाने की पूरी कोशिश करते रहे, लेकिन दोपहर 1:30 बजे उन्होंने अंतिम साँस ली ।
🌺 विरासत और सम्मान
वत्सला की 100+ वर्ष की उम्र असाधारण है, क्योंकि जंगली हाथियों की औसत आयु 48–60 वर्ष बताई जाती है
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें 'वनों की चुपचाप प्रहरी' कहा और उनकी मृत्यु पर शोक जताया; उनका अंतिम संस्कार हिनौता कैंप में वन अधिकारियों ने किया ।
pic credit : Chetan Gharpure