बुंदेलखंड की धरती पर अनेक औषधीय पौधे, वृक्ष और झाड़ियाँ जैसे नीम, बबूल, तेंदू, खैर, महुआ प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है।
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यहाँ पाए जाते हैं चीतल, नीलगाय, सियार, लोमड़ी और सैकड़ों पक्षी जैसे मोर, तोता, बाज, उल्लू। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की मौजूदगी भी दर्ज है।
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केन, बेतवा, धसान, यमुना, मंदाकिनी जैसी पवित्र नदियाँ यहाँ जीवनदायिनी हैं। जल संरक्षण एवं नदी पुनर्जीवन अभियान यहाँ तेजी से चल रहे हैं।
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चट्टानी इलाकों व पर्वतीय झाड़ियों में रेंगने वाले जीव, जड़ी-बूटियाँ व दुर्लभ वनस्पति मिलती हैं। चित्रकूट, कालिंजर, झांसी के पहाड़ प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण हैं।
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Bundelkhand Wildlife एक समर्पित प्रयास है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र की प्राकृतिक धरोहर, जैव विविधता, और पर्यावरणीय संतुलन को संरक्षित करने हेतु कार्यरत है।
हमारा उद्देश्य है – आम जनमानस को पक्षियों, पेड़ों, जलीय जीवन, और वनों के महत्व से जोड़ना और उनके संरक्षण हेतु प्रेरित करना।
हम विभिन्न जिलों जैसे झांसी, बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, सागर, पन्ना आदि में स्थानीय सहभागिता और जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं।
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और पढ़ेंमेमल्स / Mammals
पक्षी / Birds
वृक्ष / Trees
कीड़े / Insects
| # | नाम (हिंदी) | Name (English) | जिला / District | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) / Area (sq km) | प्रकार / Type |
|---|---|---|---|---|---|
| 1 | पन्ना टाइगर रिज़र्व | Panna Tiger Reserve | पन्ना / Panna | 1,677 | टाइगर रिज़र्व / Tiger Reserve |
| 2 | राघोगढ़ टाइगर रिज़र्व | Raghogarh Tiger Reserve | पन्ना / Panna | 900 (approx) | टाइगर रिज़र्व / Tiger Reserve |
| 3 | बुंदेलखंड वाइल्डलाइफ सेंचुरी | Bundelkhand Wildlife Sanctuary | झांसी / Jhansi | -- | वाइल्डलाइफ सेंचुरी / Wildlife Sanctuary |
| 4 | सिरोंजा वन क्षेत्र | Sironj Forest Area | सिरोंजा (सिरोंजा तहसील), शिवपुरी, मध्य प्रदेश / Shivpuri, MP | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 5 | चित्रकूट वन क्षेत्र | Chitrakoot Forest Area | चित्रकूट / Chitrakoot | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 6 | बांदा वन क्षेत्र | Banda Forest Area | बांदा / Banda | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 7 | झांसी वन क्षेत्र | Jhansi Forest Area | झांसी / Jhansi | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 8 | ललितपुर वन क्षेत्र | Lalitpur Forest Area | ललितपुर / Lalitpur | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 11 | सतना वन क्षेत्र | Satna Forest Area | सतना / Satna | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 12 | सागर वन क्षेत्र | Sagar Forest Area | सागर / Sagar | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
| 14 | कालीमती वन क्षेत्र | Kalimati Forest Area | झांसी / Jhansi | -- | वन क्षेत्र / Forest Area |
नीचे कुछ प्रमुख बाघ अभयारण्यों और वन्यजीव अभयारणयों की सूची दी गई है:
Below is the list of some prominent tiger reserves and wildlife sanctuaries:
| अभयारण्य का नाम / Sanctuary Name | जिला / District | विवरण / Description | प्रमुख जीव संख्या / Key Species Count |
|---|---|---|---|
|
रानीपुर बाघ अभयारण्य Ranipur Tiger Reserve |
चित्रकूट, उत्तर प्रदेश Chitrakoot, Uttar Pradesh |
यह उत्तर प्रदेश का पहला बाघ अभयारण्य है, जो रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में 2022 में स्थापित हुआ। यहाँ बाघों की उपस्थिति 4-6 है, लेकिन यह बाघों के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारा है। अभयारण्य का क्षेत्र लगभग 230 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ विभिन्न प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं। It is the first tiger reserve of Uttar Pradesh, established as Ranipur Wildlife Sanctuary in 2022. Tigers are currently 4-6, but it serves as an important corridor for tiger movement. The sanctuary spans approximately 230 sq km and hosts various wildlife species. |
बाघ (Tigers): 4-6 तेंदुआ (Leopards): 80+ भालू (Bears): 100+ अन्य जीव (Others): विविध प्रजातियाँ |
|
पन्ना बाघ अभयारण्य Panna Tiger Reserve |
पन्ना, मध्य प्रदेश Panna, Madhya Pradesh |
यह अभयारण्य पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है और बाघों की पुनर्स्थापना के लिए प्रसिद्ध है। यह यूनेस्को द्वारा 2020 में जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहाँ बाघों के अलावा तेंदुए, नीलगाय, सांभर, चीतल और कई पक्षी प्रजातियां भी पाई जाती हैं। पर्यटन के लिए यह स्थान लोकप्रिय है, और यहाँ जंगल सफारी की सुविधा भी उपलब्ध है। This reserve is part of Panna National Park and is famous for tiger restoration. It was designated as a UNESCO Biosphere Reserve in 2020. Besides tigers, the sanctuary hosts leopards, nilgai, sambar deer, chital, and various bird species. It is a popular tourist destination offering jungle safari experiences. |
बाघ (Tigers): लगभग 80-100 तेंदुआ (Leopards): लगभग 40-50 भालू (Bears): 20-30 हिरण (Deer): 800+ (सांभर, चीतल आदि) |
|
महावीर स्वामी वन्यजीव अभयारण्य Mahavir Swami Wildlife Sanctuary |
ललितपुर, उत्तर प्रदेश Lalitpur, Uttar Pradesh |
यह अभयारण्य झाँसी से 125 किमी और ललितपुर से 33 किमी दूर स्थित है। यहाँ तेंदुआ, नीलगाय, जंगली सुअर, सांभर, काले भालू, जंगली कुत्ते, बंदर और लंगूर पाए जाते हैं। अभयारण्य का क्षेत्र लगभग 235 वर्ग किलोमीटर है और यह क्षेत्र जैव विविधता के लिहाज से समृद्ध है। This sanctuary is located 125 km from Jhansi and 33 km from Lalitpur. It hosts leopards, nilgai, wild boars, sambar deer, black bears, wild dogs, monkeys, and langurs. Covering about 235 sq km, it is rich in biodiversity. |
बाघ (Tigers): लगभग 5-7 तेंदुआ (Leopards): लगभग 30-40 भालू (Bears): 50+ अन्य स्तनधारी (Other Mammals): नीलगाय, जंगली सुअर, सांभर आदि |
बुंदेलखंड क्षेत्र में कई प्रमुख नदियाँ हैं जैसे कि केन, बेतवा, धसान और यमुना, जिनके किनारे कई बांध, जलाशय और नहर प्रणालियाँ विकसित की गई हैं। विशेष रूप से ललितपुर ज़िले में बांधों की संख्या सबसे अधिक है।
The Bundelkhand region is home to several major rivers such as Ken, Betwa, Dhasan, and Yamuna, with numerous dams, weirs, and canal systems developed for water conservation and irrigation. Lalitpur district has the highest number of dams in the region.
बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा, जल संकट और वर्षा की कमी आम समस्या है।
हमारे द्वारा तालाब पुनर्जीवन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, नदियों की सफाई और समुदाय आधारित जल प्रबंधन योजनाएं चलाई जा रही हैं।
पानी बचाना, जीवन बचाना है।
पेड़ हमारे पर्यावरण के संरक्षक हैं। ग्राम पंचायतों, स्कूलों, वनों में हम वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं जिसमें नीम, पीपल, बरगद, अर्जुन जैसे पौधे लगाए जाते हैं।
हर वर्ष 🌳 वृक्ष महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।
Bundelkhand में बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जैसे तालाबों और जलाशयों की मरम्मत, बोरवेल रिचार्जिंग, और खेतों में जल संचयन तकनीकों का प्रचार-प्रसार।
सरकारी और निजी संस्थाएँ मिलकर बुंदेलखंड के सूखे क्षेत्रों में वृक्षारोपण अभियान चला रही हैं। स्थानीय पेड़-पौधों को लगाकर पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।
विभिन्न NGOs और सामाजिक संस्थाएं स्थानीय लोगों को जल संरक्षण, कूड़ा प्रबंधन, और जैव विविधता की सुरक्षा के विषय में जागरूक कर रही हैं।
किसान समुदाय में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और जल की बचत हो सके। ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल से बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को दूर करने हेतु बड़े पैमाने पर जल संचयन एवं सिंचाई योजनाएं चलाई जा रही हैं।